रक्षक (भाग : 13)
रक्षक भाग : 13
द्वितीय अध्याय : युद्धक्षेत्र रहस्य
खण्ड एक : युद्ध आरम्भ
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जेन्डोर ग्रह पर undead की मृत्यु के बाद हो चुका था तमसा और उसकी विलक्षण सेना का हमला, अपनी शक्तियों और सहायको से अनजान रक्षक अब भी लड़ने के लिए तैयार था।
तमसा और रक्षक की सेना अब आमने सामने खड़ी थी। युध्द से पहले बातचीत की औपचारिकताओं को भी पूरा करना होता है।
"तुम्हें क्या लगा, बस एक तुच्छ अंधेरे जीव को रोककर तुम अंधेरे को रोक लोगे? नही अपनी गलतफहमी दूर कर लो लड़को, हमसे तुम कभी नही जीत सकते, अंधेरा अपराजेय है!" - जोरदार हुंकार भरते हुए तमसा का स्वर गूंजा।
"ये तो वक़्त ही बताएगा अंधेरे की सेविका कि कौन क्या है? हार जीत तो वक़्त तय करता है हम तो सिर्फ लड़ते है। सदियों से यही करते आये हैं हम" - जवाब में जीवन का जोरदार स्वर उभरा।
"सैनिकों! खत्म कर दो इन बड़बोलों और इनकी तुच्छ सेना को, दिखा दो कि अंधेरे की बेटी तमसा की असली शक्तियां क्या है।" - तमसा अपने तीन सिर वाले सर्प जैसे दिखने वाले विलक्षण सैनिको को आदेश देते हुए बोली।
"मेरे साथियों! हम खुद से और अपने दुश्मन से अनजान है, लेकिन हम अच्छाई के लिए लड़ रहे हैं हम सच्चाई की खातिर जान देने वाले हैं, और एक बात याद रखना जीत हमेशा सत्य की होती है।" - अपने साथियों को जोश बढाते हुए रक्षक अपने दाएं हाथ से तलवार पकड़कर ऊपर लहराते हुए बोला। उसकी अदभुत तलवार गायब हो चुकी थी। उसके हाथों में बी पॉवर से बनी सामान्य तलवार ही थी।
रक्षक के चिल्लाते ही उसके सभी साथी और सैनिक तेज़ी से राक्षसों की दिशा में दौड़ लगा देते हैं, पर ये विचित्र राक्षस सिर्फ देखने मे विचित्र नही थे, इनकी शक्तिया भी विचित्र और सबसे अलग थी, आज तक 4J ( फोर जे ) ने भी ऐसे उर्जावारों और युद्धकलाओं के बारे में देखा या सुना नही था।
"ये अंधेरी दुनिया के सबसे विलक्षण जीवो में से एक हैं। आज तक इन्हें कभी बाहर आने की जरूरत नही पड़ी क्योंकि undead हर ग्रह को चुटकियों में फतेह करता गया, पर मुझे हमेशा से पता था वो ऐसे ही किसी ग्रह को उजाले का केंद्र नही बनाएगा, उसकी सुरक्षा भी बहुत जबरदस्त होगी, इसलिए तुम्हे देखने के बाद मैं इन्हें मनाने के लिए गयी, हालांकि ये तमस* के सिवा किसी की बात नही मानते इसलिए इन्हें लेकर आने में वक़्त लगा और जब तक मैं पहुँचती undead को अच्छाई का कीड़ा काट चुका था और वो महान खुद को उजाले के लिए कुर्बान कर गया।" तमसा undead का नाम लेते वक्त मुँह ऐसे बनाती है जैसे उसे इस नाम से घोर नफरत हो। तमसा ने रक्षक और बाकियों की जिज्ञासा शांत की। "इन्हें 'सर्पितृल प्रजाति' कहा जाता है, ब्रह्मांड के सबसे विषैले जीवो में से एक और इनका काटा पानी तक नही माँगता।"
"पानी कौन माँगेगा ये तो वक़्त बताएगा तमसा! अभी तू अपने सैनिकों का गुणगान कर रही है, मैं और मेरे साथी इनको नेस्तनाबुद करके साबित कर देंगे कि यहां बड़बोला कौन है, हम या तुम!" कहते हुए अंश अपने दोनों हाथों में चौड़े पटल की तलवार लेकर बीच मे सर्पितृलों के बीच घुस गया और कईयों को एक ही वारके कमर से अलग कर दिया।
मगर यह क्या? कटकर दो भाग हुए सर्पितृल दो अलग अलग सर्पितृल बन गए और जितनो को अंश ने काटा था उससे दोगुने वहां सही सलामत खड़े थे।
"ये वार तो हमपर ही उल्टा पड़ेगा अंश!" - स्कन्ध अपनी बंदूको से सर्पितृलों को रोकने का प्रयास करते हुए बोला।
जय, जीवन, जैक, जॉर्ज, यूनिक, रक्षक, अर्थ सब हैरान थे। वहीं यूनिक आज ज्यादा कुछ बोल नही रहा था, पर जय उसके 'मर गए तीनो बाप*' वाली पंक्ति को बार बार सोच रहा था।
"तुम्हे क्या लगा कि मैं तुम सबको रोकने के लिए किसे लाऊंगी, अंधेरे के तरकश में ऐसे कई तीर हैं जिन्हें प्रत्यंचा पर चढ़ाने मात्र से उजाले का हर रक्षक नेस्तनाबुद हो जाएगा, हाहाहाहा….." जोरदार अठ्ठाहस करते हुए तमसा बोली।
"केवल एक वार से यह तय नही होता तमसा कि अंधेरा जीत गया और उजाला हार गया, हर किसी की कोई न कोई कमज़ोरी होती है, तुम्हारी भी होगी, इनकी भी होगी, हम उसे ढूंढेंगे और इनको मिटा डालेंगे।" - रक्षक अपने स्वर में दृढ़ता लाकर बोला।
अर्थ और उसके सैनिक, सर्पितृलों को रोकने में असमर्थ हो रहे थे, जीवन उनकी मदद करने जाता है, सब बस ऐसे वार कर रहे थे जिसमें उनका अंग भंग न हो, क्योंकि सर्पितृल का हर एक अंग एक नए सर्पितृल को जन्म देने की क्षमता रखता था और इससे रक्षक और उसके साथियों की ही मुसीबते बढ़ती।
युद्ध का मैदान धूल के गुबार से भर चुका था। रक्षक और अंश ऊपर हवा में लहरा रहे थे। तमसा अपने विशेष काले जानवर जिसे वो क्रुक कहती है, पर बैठी हुई थी, क्रुक हाथियों से भी विशाल बिना सूंढ के, सांड़ जैसा दिखने वाला, लंबे दाँतो वाला काला जीव था, जिसके सिर पर तीन नुकीले और लम्बे सींग है। जो युद्ध मे नेतृत्व करने वाले का वाहन होता है। साथ ही इसके पास अदभुत मानसिक और शारीरिक बल होता है और यह उड़ भी सकता है।
"अबे कितने विचितर जानवर लाओगे, कभी काला कभी हरे को ले आओगे
मार दिए जाएंगे सब के सब, घूर क्यों रहा है बे का हमको खा जाओगे" - यूनिक अपने हाथ और शरीर से कई चैन निकालकर सर्पितृलों को अपने बड़े से चेहरे के सामने लाकर बोला, यूनिक का मासूम सा मशीनी चेहरा अब भयानक हो चुका था, उसके पूरे शरीर पर काला खून लग गया था, रक्षक या उनके किसी अन्य साथी के अपेक्षा यूनिक फिलहाल ज्यादा खतरनाक और कारगर साबित हो रहा था।
"इसकी ये विचित्र भाषा…." - जीवन यूनिक की बात सुनते ही बोला।
"उसकी भाषा को छोड़ो जीवन, फिलहाल इनपर काबू करने के लिए कुछ सोचो" - जय, जीवन की बात काटकर बोला, जो अब सर्पितृलों से लड़ते हुए यूनिक और जीवन के बीच मे आ चुका था।
जॉर्ज और जैक एक टीम बनाकर सर्पितृलों को बी रे से पिंजरे बनाकर कैद करने की कोशिश कर रहे थे, पर यह कोशिश भी असफल नज़र आ रही थी।
स्कन्ध और जयंत अपनी लंबी चेनों की सहायता से सैकड़ो सर्पितृलों को कैद कर पकड़े हुए थे, पर सर्पितृल कोई मामूली सैनिक नही थे वे बार बार चैन तोड़ दे रहे थे, जिसे जोड़ने में जयंत की यांत्रिक ऊर्जा और स्कन्ध की मानसिक ऊर्जा बड़े पैमाने पर खर्च हो रही थी।
अंश एक ओर से अपने बिजली और शारीरिक शक्ति की सहायता से सर्पितृलों को रोकने की कोशिश कर रहा था, दिन होने के कारण नीला सूर्य उग रहा था जिससे मिलने वाली ऊर्जा से अंश शक्तिशाली होता जा रहा था, उसकी ताकते अब बढ़ने लगी जिससे वो सर्पितृलों के पास एक गोल घेरा बनाकर बिजलियां प्रवाहित करने लगा, ऐसा करने में अंश को बहुत शक्ति लगाने की आवश्यकता पड़ रही थी, और वो हज़ारों राक्षसों को अकेले रोक पाने में असमर्थ हो रहा था।
रक्षक अपने भुजाओं की सहायता से निपट रहा था, पर उसे इस बात का भी ध्यान रखना था कि कोई उसके शरीर के खुले भाग में जहर न पहुँचा दें, सर्पितृल निश्चय ही बहुत अधिक ताक़तवर थे, उनके पास तीन सिर है पर रक्षक कोई मामूली योद्धा नही था, उसे तो ये भी नही पता कि वो उनकी रक्षा कर पाने के काबिल है भी या नही, वो तो ये भी नही जानता कि वो रक्षक है भी या नही, वो बस इतना जानता था कि वो लड़ रहा है और उसे किसी भी हाल में जीतना ही है।
लड़ते हुए रक्षक तमसा तक पहुंचने का प्रयास करता है जो अपने सैनिकों के बीच क्रुक पर खड़ी होकर उनका जोश बढ़ा रही थी और रक्षक एवं उसके साथियों को मामूली सा तुच्छ जीव कह रही थी।
रक्षक आगे बढ़ ही रहा था कि एक लंबी पूंछ उसके गले पर शिकंजा कस गयी, रक्षक दोनो हाथ से छुड़ाने की कोशिश कर रहा था पर यह अन्य सर्पितृलों से बहुत अधिक ताक़तवर था, रक्षक का दम घुटने लगा, वह सर्पितृलों के बीच था जिससे उसे कोई देख भी नही पा रहा था।
तमसा सिर्फ जोरदार ठहाके लगाए जा रही थी।
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पृथ्वी पर
अभयनगर में--
राज के घर पर मम्मी पापा बरामदे में बैठकर बातें कर रहे होते हैं, शाम होने को थी, राज और पूजा आज छत पर नही गए थे क्योंकि अभी रीमा आने वाली थी और वे दोनों भाई बहन पापा को सरप्राइज देना चाहते थे।
"पापा आपको मेरे बचपन के बारे में पता है न!" - राज ने अपने पापा को बड़े प्यार से पूछा, हालांकि रात में देर से आने के लिए उसने पापा-मम्मी से खूब डांट सुनी पर बाद में पूजा ने उसे बचा लिया 'चॉकलेट की खातिर'
"हाँ! पर अचानक से तुझे हुआ क्या जो बचपन के बारे में जानना है?" - पापा ने पूछा, उनकी आँखे इस सवाल से थोड़ी नम हो गयी थी।
"कुछ नही पापा वो प्रोफेसर अंकल की बेटी आयी है।" - राज ने सपाट स्वर में जवाब दिया।
"कौन रीमा!" पापा ने चौंककर पूछा, "यहां अभयनगर में?"
"हाँ पापा हाँ!" पूजा उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली।
"हमे तो पता चला था भाई साहब अपने पूरे परिवार के साथ एक्सीडेंट में मारे गए।" - पूजा की माँ ने कहा
"वो एक्सीडेंट नही था शारदा! एक्सीडेंट बनाया गया था, पर इतना पता था कि सब मारे गए हैं और मुझे ज्यादा तहकीकात की परमिशन नही मिली।"
"ये तो अच्छी बात है कि रीमा अभी ज़िंदा है, और अभी मिलने आने वाली है।" - पूजा चहकते हुए बोली।
इतने में बेल बजती है, राज जल्दी से जाकर ओपन बटन क्लिक करता है और गेट खुल जाता है, रीमा घर मे आती है, बला की खूबसूरत, प्यारी सी मासूम लड़की जिसने बचपन में ही अपने माँ बाप और भाई को खो दिया था।
"आओ रीमा बेटा! तुम कहां थी इतने दिन, तुम्हे मुझे खबर करना चाहिए था, हम तुम्हारे परिवार हैं बेटा" - अपने हाथों से रीमा का हाथ पकड़कर बिठाते हुए राज की माँ बोली।
"मेरी अपनी कई परेशानियां थी आंटी!" - रीमा बोली।
"आंटी! बेटा तुम मुझे माँ बोल सकती हो।" - राज की माँ बोली
"थोड़ा मुझे भी प्यार कर लेने दो, देखो तो भला मेरी फूल सी बच्ची कैसी मुरझाई सी लग रही।" - राज के पापा रीमा के सर पर हाथ फिराते हुए बोले, रीमा के आँखों से आँसू बह आये।
फिर ढेर सारी बातें हुई, शिकवे गिले जाहिर किये, रीमा ने बताया वो अंकल के पास थी और उन्होंने हमेशा रीमा को बेटी की तरह रखा, यहां तक कि उन्होंने शादी भी इसलिए नही की क्योंकि उन्हें लगा कि इससे उनका ध्यान मुझपर से हट जाएगा, जो कि वो कभी नही चाहते, मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ जो मुझे ऐसा परिवार मिला।
राज के पापा ने भी बताया कि वो रीमा के पापा से कैसे मिले और पक्के दोस्त बन गए।
तभी राज टेलीविजन चालू करता है, जो केवल प्रोजेक्टर की तरह है पर LED स्क्रीन को दिखाता है, TV पर कोई क्राइम न्यूज़ आ रही थी, राज चैंनल बदलने वाला था पर पापा ने उसे रुकने को कहा।
"आज फिर स्लम इलाको में क्षत विक्षत लाशें पायी गयी है, सुनसान गलियो में मिली इन लाशों के रहस्य कोई नही जानता पर किसी किसी ने कहा है कि उन्होंने किसी रहस्यमय काले साये को देखा है, पर डर के मारे सामने आकर बोलने से डरते हैं, लगातार कत्लेआम, यह गैंगवार तो नही लगता, क्योंकि मिलने वाली लाशों पर एक ही निशान हैं, यानी वो जो भी है बस एक ही है, लोगो ने उसे 'काले हत्यारे' का नाम दिया है, सारी मुम्बई पुलिस फिलहाल उसके पीछे पड़ी हुई है। न्यूज़ का यह बुलेटिन समाप्त हुआ, हम चाहते हैं आप अपने घरों में रहें, सुरक्षित रहें धन्यवाद!"
"मुझे जाना होगा शारदा! तुम मेरे निकलने की तैयारी करो"
"पर पापा आप कल ही तो आये हो!" पूजा बोली।
"जाना जरूरी है बेटा!" पापा बोले " रीमा तुम यही घर ही रहना, और यूनिवर्सिटी जब जाना हो तो राज को साथ ले जाना।"
" ठीक है पापाजी!" - रीमा बोली, उसके गुलाबी गालों पर अब भी गोल गोल आँसू लुढ़के हुए थे, जिन्हें वो बार बार पोंछ रही थी।
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Hayati ansari
29-Nov-2021 09:56 AM
Good
Reply
Niraj Pandey
08-Oct-2021 04:41 PM
बहुत ही बेहतरीन👌👌
Reply
Seema Priyadarshini sahay
05-Oct-2021 12:14 PM
बहुत सुंदर
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